प्रियंका श्रीवास्तव

प्रियंका श्रीवास्तव

बुधवार, 18 मई 2011

कैसी दुनियाँ !

दिखा रहे हैं दिल में ख़ुशी, पर चेहरे पे नकली शोक,
पता नहीं हैं कैसे हाय रे ये दुनिया के नकली लोग।

शायद इनको मिलती है ख़ुशी दूसरे के दुःख पाने से,
नहीं कोई मतलब इनको  अपने सुख आने से।

अपनी मंजिल पाने को दूसरे पर चढ़ जाना है,
खींच कर टांग दूसरे की खुद आगे बढ़ जाना है।

पता नहीं दिल में भरकर बैठे हैं द्वेष ही द्वेष,
दिखा रहे मुँह पे है उनके प्यार का सन्देश।

इस जग रहकर मन में भरकर इतने सारे पाप ,
खुद ही सोचें ऐसे कहाँ तक पहुँच पाएंगे आप।


*सोनू की कलम से *

15 टिप्‍पणियां:

  1. पता नहीं दिल में भरकर बैठे हैं द्वेष ही द्वेष,
    दिखा रहे मुँह पे है उनके प्यार का सन्देश।

    एकदम सही बात है ये आज के समय में.

    सादर

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  3. दीदी,सोनू की सोच का दायरा इतना विशाल है की मैं सोच ही नहीं पा रहा की क्या कहूँ."इनको मिलती है ख़ुशी दूसरे के दुःख पाने से, कोई भी मतलब नहीं है अपने सुख आने से।" बात भी सच "सामने जो आंसू बहते हैं,घर जाकर हमारी परेशानी का जश्न मानते हैं." काश! इसे हर आदमी समझता.बेहद सुन्दर और सोच से पूर्ण अभिव्यक्ति. बस ऐसे ही वह अपने विचार व्यक्त करती रहे ,इस कामना के साथ .ढ़ेरों बधाइयाँ.

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  4. अपनी मंजिल पाने को दूसरे पर चढ़ जाना है,
    खींच कर टांग दूसरे की खुद आगे बढ़ जाना है।
    sonu beta yahi duniya hai... tumharee kalam ko mera aashirwaad

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  5. रश्मि दी,

    आपके आशीष पकर उसकी अभिव्यक्ति और निखर जाएगी.

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  6. यशवंत , राजीव भाई आप लोगों के उत्साहवर्धन से ही वह आगे बढ़ेगी.

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  7. अपनी मंजिल पाने को दूसरे पर चढ़ जाना है,
    खींच कर टांग दूसरे की खुद आगे बढ़ जाना है।
    ऐसा ही समय आ गया है क्या करें .परन्तु हिम्मते मर्दा तो मददे खुदा.
    बस हौसला रहे तो मंजिल मिल ही जाती है.

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  8. दिल में ख़ुशी है पर चेहरे पे नकली शोक,
    हैं कैसे हाय रे ये दुनिया के नकली लोग।

    दिल में खुशी और चेहरे पर शोक ..शायद किसी विशेष समय ऐसा हुआ हो ...

    बहुत अच्छी प्रस्तुति ...दुनिया का सही खाका खींचा है ..


    रेखा जी ,
    एक अनुग्रह ---


    कृपया टिप्पणी बॉक्स से वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें ...टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी ...

    वर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
    डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो करें ..सेव करें ..बस हो गया .

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  9. अभी से इतनी गहनता है …………बडी नज़दीकी से देखती है ज़िन्दगी को……………गज़ब के शेर हैं ज़िन्दगी से रु-ब-रु करवाते हैं।

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  10. बहुत बढ़िया...सोनू को शुभकामनाएँ.

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  11. इस जग रहकर मन में भरकर इतने सारे पाप ,
    खुद ही सोचें ऐसे कहाँ तक पहुँच पाएंगे आप।
    --
    कविता बहुत मन से लिखी है सोनू ने!
    उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ!

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  12. समीर जी, शास्त्री जी एवं वंदना,

    बच्चे बड़ों के आशीष के आकांक्षी होते हैं और तभी आगे बढ़ पाते हैं. धन्यवाद !

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  13. पता नहीं दिल में भरकर बैठे हैं द्वेष ही द्वेष,
    दिखा रहे मुँह पे है उनके प्यार का सन्देश।.. bacche bhi sach jhooth main fark achhe se samjh rahe hain ye Sonu ne bata diya..isliye koi ab bachon ko aise hi behla nahi sakta.

    इस जग रहकर मन में भरकर इतने सारे पाप ,
    खुद ही सोचें ऐसे कहाँ तक पहुँच पाएंगे आप।
    yahan sonu bacchi nahi lagti... wo bahut samjhdaar aur paripakva lag rahi hai.
    Sonu ko meri dher saari shubhkaamnayen, Ashirvaad aur Aseem Sneh.

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  14. सामाजिक परिस्थितियों पर धारदार वार.

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