प्रियंका श्रीवास्तव

प्रियंका श्रीवास्तव

सोमवार, 4 नवंबर 2024

खेप !(67)

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                                                           खेप !


      "हां राम भरोसे नई खेप कब तक मिलेगी? बाहर वालों का दबाव बढ़ता जा रहा है।"

      "और कुछ दिन, कई जगह एजेंट भेजे हैं ,कहीं ना कहीं से आएगी।"

      " कोई झंझट नहीं चाहता मैं, डील हमारी तुमसे होगी आगे वालों को तुम देख लेना।"
      "ठीक है।"    
         यह खेप मौरंग, रेत, सीमेंट या ईंटों की नहीं थी बल्कि जीते जागते बच्चों की थी। गरीब के बच्चों को काम और दाम का लालच दिखाकर दूरदराज से लाया जाता था। उन्हीं में लड़कियाँँ भी शामिल होती थींं। उम्र के अनुसार काम लिया जाता था। भीख मँगवाना, जिस्मफरोसी, बालश्रम और कबूतरबाजी तक की जाती थी।
       अभी अभी ऑफिस पहुंचा ही था कि मौसमी का फोन आया - "सरस पार्क में खेलने गया था वहां से वापस नहीं आया है।"  
        " उसकी आया क्या कर रही थी?"

       "वहीं थी लेकिन किसी से बात कर रही थी और उसी में ही हो गया।"

       "मैं आता हूं।"

  जब घर पहुँचा था तो मौसमी बेहाल थी। एसपी और डीएसपी से लेकर उसने बच्चे को खोजने के लिए सारे महकमे में हड़कम्प मचा दिया। अपने आदमियों को दौड़ाया और खुद गाड़ी लेकर निकल गया ।

      थोड़ी दूर पहुंचा था कि उसके पास एक फोन आया  - "अपने बेटे को खोज रहे हो।"

      "हाँ, मिला क्या?"

      " मेरे पास है एक करोड़ फिरौती चाहिए।"

      "क्या दिमाग खराब है? मेरे बेटे को अगवा किया है, मैं छोड़ूँगा नहीं।"

      " तो चुपचाप पैसे दे दे बहुत कमा चुका तू।"

      "कुछ कम कर, इतना मेरे पास नहीं है।"

     " इससे ज्यादा वसूलता है बच्चों का,  जो भीख माँगते है और लड़कियों को देह व्यापार में धकेल देता है और अब तेरे बेटे का भी यही हश्र होगा।"

     "चुप करो मैं तुम्हें कुछ नहीं करने दूँँगा।"

     " क्यों?  क्या सिर्फ तुम ही कबूतरबाजी कर सकते हो?  कहाँँ जाओगे रिपोर्ट करने पुलिस के पास तो तुम्हारा कच्चा चिट्ठा पहले से पहुँँच जाएगा, इसलिए तू चुपचाप मुझे वह दे दे, जो मैं माँग रहा हूँ, नहीं तो बेटा भी नहीं मिलेगा।"

        तभी दूसरा फोन बजा और  आवाज आई - "खेप आ चुकी है, कहाँ पहुँचाना है ?"

      "किसी और को दे दे, कहीं मेरा बेटा भी किसी और खेप में शामिल न कर दिया जाय।"

  वह पागलों की तरह अपनी गाड़ी दौड़ा रहा था।  मन में सोचता जा रहा था - "अब कोई खेप नहीं बस भगवान मेरे बच्चे को वापस दिला दे।"

                वह स्टेयरिंग पर सिर रख कर फफक फफक कर रोने लगा ।

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