प्रियंका श्रीवास्तव

प्रियंका श्रीवास्तव

शनिवार, 30 सितंबर 2023

छूतपाक !(55)

छूत पाक!


                  रीना पति के साथ उनके मित्र के यहाँ गयी , अपनी नौकरी के कारण उसकी पत्नी के साथ खास मौके पर ही मुलाकात होती थी।  मित्र पति के साथ कहीं निकल  गए और रीना और रश्मि बातों में लग गयीं।  तभी आँगन की तरफ से आवाज आयी - " अरे आरती मुझे पानी दे दो , पानी का गिलास नीचे गिर गया है। "

          "आरती नहीं है , वह शाम को आएगी।" रश्मि ने वहीँ बैठे बैठे बोल दिया। 

         "माताजी हैं कई साल से बिस्तर पर हैं , सारे काम वहीँ होते हैं , एक आया लगा रखी है वही  सब करती है।  सुनाई भी कम देता है।"

                 इतना कह कर वह फिर बातों में लग गयी , लेकिन माताजी की आवाज बार बार आ रही थी। 

             "क्या करूँ मेरा तो नवरात्रि  का व्रत चल रहा है , मुझे दिन में खाना पीना भी होता है तो छूत पाक का ध्यान भी रखना पड़ता है। मैं वहां नहीं जाती हूँ।"

              "अगर आरती नहीं आती है तो ?"

             "तो सुबह ये ऑफिस जाने से पहले सारे काम निबटा कर जाते हैं। "

                रश्मि उठ कर चाय बनाने चली गयी और माँ जी की आवाज फिर से आयी , आवाज  की कातरता ने रीना को हिला दिया।  कोई इंसान प्यासा हो और पानी न मिले।  वह उठ कर गयी तो आँगन में एक छोटा  सा कमरा था , उसी में माँजी लेटी  हुई थीं।  रीना ने गिलास में जग से पानी डाल कर उनको दे दिया।  

              "कुछ और चाहिए। "

              " नहीं बेटा। तुम कौन हो? पहचाना नहीं। " 

              "माँजी मैं रीना रश्मि की सहेली। "

                   उधर रश्मि चाय बना कर कमरे में आ चुकी थी और रीना भी पहुँच गयी।  रीना को बाहर से आते देख बोली 'अरे कहाँ चली गयी थी ?'

             "माताजी को पानी देने के लिए। "

             "आप भी तो व्रत हैं न?"

             "जी , मगर मैं छूत पाक नहीं मानती। "

               

मंगलवार, 19 अक्तूबर 2021

यंग ब्लड !

 

                         हॉस्पिटल के मैनेजमेंट की मीटिंग चल रही थी।  एचआर  निधि से प्रगति और समस्या के बारे में पूछा है रहा था।  

                   " मैं समझती हूँ कि जो काम मिश्रा जी सँभाल रहे हैं , उसके लिए कोई नौजवान होना चाहिए और फिर वे अब रिटायरमेंट की उम्र पर आ ही गए हैं। " 

                     डायरेक्टर उनके कथन को बड़े गंभीरता से सुन रहे थे  और एचआर को ये पता था कि मिश्रा जी  उस के पिता के मित्रों में हैं और डायरेक्टर साहब के पिता के मित्रों में भी हैं ।

                      "मैडम ये बतलाइये कि मिश्रा जी अपने काम को नहीं कर पा रहे हैं। "

                      "ऐसा  तो नहीं है , फिर भी एक यंग ब्लड को भी मौका मिलना चाहिए। "

                      "बिल्कुल , कभी यही बात मुझसे कही थी मिश्रा जी ने , जब आप पढ़ कर आयीं थी और आपके फादर ने मिश्रा जी से कहा था कि  इसको कहीं मौका दिलवा दीजिये। "

                       " सर वो मेरा मतलब यह है कि ........ !

                       " आप और लोगों को हायर करना चाहें तो बताएं लेकिन मिश्रा जी के बारे में मैं बता दूँ कि अगर वह नहीं भी आएंगे या काम नहीं करेंगे तब भी उनको हटाया नहीं जाएगा। उनकी सैलरी उनके अकाउंट में जाती रहेगी। ।  वो मेरे भी फादर के मित्र है और इस हॉस्पिटल की नींव जब रखी गयी थी तो मिश्रा जी हमारे साथ थे,आज भी हैं और आगे भी रहेंगे। "

                       "कुछ और कहना है ?"

                      "नो सर। "

                 

सोमवार, 13 मई 2013

बेटी का माँ को सन्देश !

 कल रात मुझे ये एस एम एस मिला मेरी बेटी सोनू का , और जब उसको पढ़ा तो आंसू अपने आप गिरने लगे कोई बेटी अपनी माँ से ऐसा कहती है कहा तो बोली आप भी तो कुछ भी लिखती हो रुलाने वाला फिर मुझे भी  में आ रहा  था लिख दिया ! 


खुदा जितना चाहे मुझे  सता ले ,
जिन्दगी जितना चाहे मुझे रुला ले ,
बस एक आखिरी ख्वाहिश है मेरी 
वो तुझसे पहले मुझे बुला ले .

जान निकले तो निगाहें तुझ पर हों ,
और सिर रखा हो तेरी गोद में ,
रखा हो शरीर यहाँ और आत्मा मेरी तुझसे में हो 
ये सोचने भर से मेरी आखें नम है 
माफ  करना माँ पर तुम्हारे बिना 
जीने का मुझमें  नहीं दम है 

करूंगी सब कुछ तुम्हें जो ख़ुशी दे 
बस खुदा  मेरी ये आखिरी तमन्ना पूरी कर दे 
तेरे हर गम में वो तुझे नहीं मुझे रुला दे 
और गर जाना हो तुझे तो वो पहले मुझे बुला ले. 

हैप्पी मदर्स डे मम्मा !

बुधवार, 19 दिसंबर 2012

डर या साहस !(kavita)

माँ मेरी माँ  
मैं सबसे दूर बैठी 
अब टीवी नहीं देखती 
सबकी आवाजें 
मेरे कानों में 
गरम शीशे की तरह 
पिघल कर बह रही होती है।
अपनी उस बहन की 
चीखों , छटपटाने और संघर्ष करने के 
अथक प्रयास को 
महसूस कर  काँप जाती हूँ।
मैं भी तो 
इसी तरह से 
अँधेरा होने पर 
अन्दर ही अन्दर डरती हूँ 
मन में ईश्वर को याद करती 
तेज कदमों से 
अपने उस कमरे की तरफ 
बढती हूँ 
और फिर अन्दर कदम रखते ही 
झट से दरवाजा बंद कर 
बिस्तर पर ढेर हो जाती हूँ 
धन्यवाद देती हूँ 
उस ईश्वर  को 
मैं सुरक्षित हूँ और 
मेरी सारी  बहनों को 
वो सुरक्षित ही रखे। 
तुम्हें मुझपर भरोसा है 
मुझे खुद पर भरोसा है 
लेकिन माँ उसकी माँ को भी तो 
उस पर भरोसा था ,
फिर वो किसी के साए में थी 
सुरक्षा का अहसास लिए 
लेकिन 
फिर क्या हुआ माँ ?
आज वो झूल रही है 
जिन्दगी और मौत के बीच 
कोई रक्षा कवच दे दो माँ 
जिसके रहते 
ये नराधम 
भस्म हो जाए .
नज़रे उठाये किसी की तरफ तो 
राख  का ढेर हो जाएँ .
छूने की हिमाकत करें 
तो टूट कर उनके हाथ झूल जाएँ। 
एक ज्वाला निकले 
हमारी आँखों से 
वे किसी की अस्मिता को 
देखने से पहले अंधे हों जाए। 
न्याय हम अब मांगेगे नहीं 
खुद मरे तो उन्हें भी मार डालेंगे 
अब उन बहनों के जीवन 
के बदले नराधमों की जान ले जायेंगे .

 

शुक्रवार, 26 अक्तूबर 2012

ये कैसा दशहरा ?

                          दशहरा जब से कानपुर  से बाहर  निकले हैं तब से देखा ही नहीं है , नहीं अपनी सहेलियों के साथ अरमापुर का दशहरा देखने का मजा ही कुछ और होता था . 
                            इस बार एक इत्तेफाक है कि मेरे निवास के ठीक सामने वाले पार्क में दशहरा मनाया जा रहा था उसमें कई दिनों से तैयारी चल रही थी और रावण,  मेघनाद और कुम्भकरण के पुतले खड़े थे। बस सुबह उनको देख देती थी फिर अपने काम पर।  जब दशहरे की छुट्टी थी तो मानी हुई बात है कि  मैं अपने हॉस्टल में ही थी। जोर शोर से प्रचार हो रहा था कि  यहाँ पर राखी सावंत और इमरान हाश्मी आ रहे हैं और उन्हीं लोगों के हाथ से रावण जलाया जाएगा  
                        सारा दिन तो इसी इन्तजार में निकल गया कि  ये लोग आयेंगे राखी सावंत का तो नहीं हैं इमरान हाश्मी का सबको इन्तजार था और इस बात का भी कि पार्क ठीक हॉस्टल के सामने हमें उतर कर नीचे जाना भी नहीं था बस टैरेस पर कुर्सियां डाल  कर बैठ जाना था। सारी लड़कियाँ सुबह से ही इन्तजार में थी। 
                          आखिर इन्तजार की घड़ियाँ ख़त्म हो गयी और शाम को भीड़ लगनी शुरू हो गयी . कुछ देर बाद पता चला कि  इमरान हाश्मी तो आ नहीं रहे हैं कोई और स्थानीय कलाकार आ गया और राखी सावंत जरूर आ गयी। अब न हमें उनके डांस में रूचि थी और न ही उनको देखने में सो हम सब कमरे में जाकर टीवी पर देखने लगे  फिर पता चला कि  राखी सावंत ने कुछ बोलना शुरू किया और वह सोनिया गाँधी जिंदाबाद के नारे लगा लगा  कर लोगों में  कांग्रेस का प्रचार करने लगी . हम लोगों की समझ नहीं आ रहा था कि ये रामचन्द्र जी की जय के जगह पर सोनिया गाँधी कहाँ से आ गयी? ये तो दशहरा पूरे राजनैतिक रंग में रंग गया . वह भी ठीक था लेकिन  राखी ने आनन फानन में रावण के पुतले में आग लगायी और चलती बनी . मेघनाद और कुम्भकरण के पुतले ऐसे ही खड़े रहे . बाद में उनको किसी ने आग लगायी होगी क्योंकि हम तो ये तमाशा देख कर अन्दर आ गए थे।
                         मैं ये नहीं समझ पायी कि रामलीला का हिस्सा ये राखी सावंत बनी और फिर उनको हिस्सा बनाने वालों को ये भी नहीं पता कि  पहले कौन से पुतलों को जलाया जाता है। ये एक राजनैतिक रैली बन कर रह गयी  क्योंकि दिल्ली सरकार का पार्क और कांग्रेस की सत्ता ने लोगों के मनोरंजन का इंतजाम जो किया था और हम ठगे से देख रहे थे ये कैसा दशहरा हुआ?

गुरुवार, 27 सितंबर 2012

माँ मेरी माँ !




चित्र गूगल के साभार ( कुछ मानसिक असामान्यता के शिकार बच्चे )


माँ 
वह शब्द है


जिसके गोद में सिर  रख कर 
भूल जाते हैं हर गम .
नहीं मालूम है 
कितने कष्ट उठाये होंगे?
बेटी , बेटी 
करते कलम नहीं रुकती 
सारी माँओं  की 
आज कहूं मैं 
माँ की कहानी।
वो नन्हे बच्चे 
जो अपने से दूर है 
नहीं समझ पाते हैं 
कुछ बातों को,
कैसे उनकी माँ 
आती हैं मेरे पास 
फिर भर कर आँखों में आंसूं 
उनके हर आंसूं में होता है 
एक सवाल 
क्या मेरा बच्चा 
ठीक हो जाएगा?
और मैं 
यह जानकर भी 
वो ठीक नहीं हो सकता 
झूठी  दिलासा दे कर 
उन्हें कुछ सिखाने में 
अपने को झोंक देती हूँ। 
फिर छोटे छोटे से सुधार  भी 
देख कर 
वे अगले दिन 
एक टिफिन में 
मेरे लिए 
लाती  कुछ 
मीठा खाने को 
मेरी बेटी कल 
सीढियां चढ़ी 
पहली बार .
मेरा बेटा 
अब शांत रहने लगा है।
अब वो कर सकता है 
अपने रोज के काम 
फिर नयी आशा से 
उसी तरह नियमित 
मेरे पास बच्चों को लाती  हैं 
वो मांएं 
जो चाहती है 
कि मेरी मौत से पहले 
मेरी संतति 
अपने काम की समझ अर्जित कर ले 
प्रणाम उस माँ को 
कितना धैर्य 
उसमें है? 
पहले नौ महीने गर्भ में 
फिर धरती पर 
अपूर्णता के अहसास के बाद 
उसे पूर्ण होने की आस 
उन्हें एक आशा में 
जीवित रखता है। 
वे बच्चे धन्य है 
जिन्हें ऐसी माँ मिलीं .
माँ तुम्हें शत शत नमन !

बुधवार, 6 जून 2012

बोलीवुड स्टाइल

बहुत गंभीर रहते  रहते लगा कि सारे दिन उन मासूम से बच्चों के साथ रहते रहते कुछ रिलेक्स होने का मन  और बीमारियों का पोस्ट मार्टम कर डाला जाय  कि बोलीवुड स्टाइल में इनको कैसे कहा जाय  ? तो लीजिये थोडा सा आप भी शेयर कर लीजिये --

ये गाने गुनगुनाइए और फिर मैं उन्हें आपकी बीमारी का नाम देती हूँ .

1. जिया जले जान जले , रात भर धुआं चले  -- बुखार
2. तड़प तड़प के इस दिल से आह निकलती रही --- हार्ट अटैक
3. जुदा होकर भी कहीं तो मुझमें बाकी  है ---     लूज मोशन
4. बीडी जलईले जिगर से पिया जिगर माँ बड़ी आग है --- एसिडिटी
5. तुझमें रब दिखता  है यारा मैं क्या करूँ  --  मोतियाबिंद
6. तुझे याद न मेरी किसी से अब क्या करूँ  --- लो मेमोरी
7. मन डोले मेरा तन डोले   --  मिर्गी