टूटने लगती है हिम्मत लड़खड़ाने लगते हैं कदम,
छल-कपट के बीच , कब तक चलेगा विश्वास का दम।
उनके किये छलों को बार बार करते रहे माफ हम,
और देखिये फिर भी उपहास का पात्र बनते रहे हम।
सत्य जीतेगा एक दिन सुन सुन कर थक गए हम,
सत्य झूठ के पीछे मुँह छिपाए खड़ा रहता है हरदम।
झूठ के चेहरे पर बिखरी लाली और सत्य की आँखें नम,
चुपचाप कब तक ये तमाशा खड़े देखते रहें हम।
अब बतलाइए किस विश्वास को देखें और सुनें हम,
किस विश्वास से सत्यमेव जयते की लें हम कसम।
छल-कपट के बीच , कब तक चलेगा विश्वास का दम।
उनके किये छलों को बार बार करते रहे माफ हम,
और देखिये फिर भी उपहास का पात्र बनते रहे हम।
सत्य जीतेगा एक दिन सुन सुन कर थक गए हम,
सत्य झूठ के पीछे मुँह छिपाए खड़ा रहता है हरदम।
झूठ के चेहरे पर बिखरी लाली और सत्य की आँखें नम,
चुपचाप कब तक ये तमाशा खड़े देखते रहें हम।
अब बतलाइए किस विश्वास को देखें और सुनें हम,
किस विश्वास से सत्यमेव जयते की लें हम कसम।
बेशक सत्य ओट मे छुपा रहता है मगर उसकी लालिमा को कोई भी ओट छुपा नही सकती बाहर तो आयेगा ही इस विश्वास को कायम रखना चाहिये फिर झूठ अपने आप मिट जायेगा।
जवाब देंहटाएंझूठ के चेहरे पर बिखरी लाली और सत्य की आँखें नम,
जवाब देंहटाएंचुपचाप कब तक ये तमाशा खड़े देखते रहें हम।
बहुत बढ़िया लिखा है.
सादर
झूठ के चेहरे पर बिखरी लाली और सत्य की आँखें नम,
जवाब देंहटाएंचुपचाप कब तक ये तमाशा खड़े देखते रहें हम।
सोनू,तुम्हारे सरोकार को नमन.आज युवाओं ने झूठ के चेहरे की लाली उतारनी शुरू कर दी है जिसका नजारा भर था अन्ना का आन्दोलन.अब कोई भी किसी भी प्रकार का भ्रष्टाचार सहने को तैयार नहीं दिखता.जैसे बादलों को भ्रम होता है सूरज को रोकने का वैसे ही कुछ लोगों को भ्रम होता है सत्य की अटलता पर.सच तो एक कभी न मिटनेवाली भ्रमरहित लकीर है जो न छुपती है,न उसे छुपने की जरूरत है.बेहतरीन रचना के लिए बधाई.तुम्हारे भीतर की रचनाकार को बाहर लेने के लिए दीदी का आभार.
झूठ के चेहरे पर बिखरी लाली और सत्य की आँखें नम,
जवाब देंहटाएंचुपचाप कब तक ये तमाशा खड़े देखते रहें हम।
.... जब तक हम सच का दमन कसकर ना पकड़ लें
बहुत सुन्दर |उन्मुक्त भाव |
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अभिव्यक्ति......आभार !
जवाब देंहटाएंदेर है अंधेर नहीं , सच कही भी छुपा हो , फलक पर चमकेगा ही , जिजीविषा बनी रहे .
जवाब देंहटाएंसत्य की वर्तमान दशा पर बेहतर अभिव्यक्ति.
जवाब देंहटाएंआज हर ओर झूठ ही दिखाई देता है ..तो निश्चय ही यही भाव मन में आते हैं ...अच्छी प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 24 - 05 - 2011
जवाब देंहटाएंको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
साप्ताहिक काव्य मंच --- चर्चामंच
झूठ को बार बार जीतते देख मन डांवा डोल होता है , कदम लड़खड़ाते हैं , मगर अपनी ईमान पर रहने वाले हर मुश्किल को पार करते हैं ,
जवाब देंहटाएंसत्य हमेशा पूजित होगा , यही विश्वास इस फिसलन से बचाता है ...
अच्छा है, बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंहिम्मत छोड़ने से काम नहीं चलेगा अब...अन्ना और रामदेव ललकार रहे हैं...सत्य तो सदैव विजयी रहा है...इसमें शक की गुंजाईश नहीं है...कानपुर की टेम्पो के पीछे अक्सर लिखा देखा है..."सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं'...इस अंधरे में शम्मा जलाये रखने लिए...शुक्रिया...
जवाब देंहटाएंसत्य की तलाश .. सत्य के छुपने से बन्द नहीं होगी
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